विटामिन हमारे मेटाबॉलिज्म, इम्यून सिस्टम और नर्वस सिस्टम के लिए बहुत जरूरी होते हैं। इनके बिना शरीर सही ढंग से काम नहीं कर सकता। इसलिए हमें अपने आहार में विटामिन को जरूर शामिल करना चाहिए।
शरीर को स्वस्थ और दुरुस्त रखने के लिए विटामिन युक्त भोजन का सेवन बहुत जरूरी होता है। ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और बीमारियों से लडऩे में अहम भूमिका निभाते हैं। विटामिन हमारे मेटाबॉलिज्म, इम्यून सिस्टम और नर्वस सिस्टम के लिए बहुत जरूरी होते हैं। इनके बिना शरीर सही ढंग से काम नहीं कर सकता। इसलिए हमें अपने आहार में विटामिन को जरूर शामिल करना चाहिए। image courtesy : getty images
विटामिन सी पानी में घुलनशील विटामिन है और यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। यह शारीरिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा घावों को भरने, आयरन के अवशोषण, हड्डियों के विकास, त्वचा, दांतों और मसूडों के लिए जरूरी होता है। इसकी कमी से स्कर्वी (त्वचा रोग), मांसपेशियों की कमजोरी, जोडों का दर्द, एनीमिया, भोजन में अरुचि, इम्यून सिस्टम संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। विटामिन सी के स्रोत आंवला, नीबू, अंगूर, संतरा, कीवी, आम, पपीता, रसभरी और पालक, ब्रोकली, फूल गोभी, बंद गोभी और टमाटर आदि है। image courtesy : getty images
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर विटामिन ई फैट में घुलनशील होता है। यह विटमिन ए, सी सहित लाल रक्त-कोशिकाओं और अनिवार्य फैटी एसिड को बचाता है। यह फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है। स्वस्थ त्वचा को बढ़ावा देता है। इसके अलावा यह इम्यून सिस्टम, तंत्रिका संबंधी विकार और कैंसर संबंधी रोगों में योगदान देता है। और दिमाग के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसकी कमी से एनीमिया, भोजन में अरुचि, मांसपेशियों में कमजोरी, पाचन तंत्र में गडबडी और इनफर्टिलिटी हो सकती है। विटामिन ई वेजिटेबल ऑयल, साबुत अनाज, सूखे मेवे, सीड्स, हरी पत्तेदार सब्जियां, फोर्टिफाइड सीरियल्स आदि से मिलता है। image courtesy : getty images
विटामिन ए दृष्टि समेत शरीर के प्रतिरोधी तंत्र के लिए बहुत जरूरी होता है। यह फैट में घुलनशील एंटी-ऑक्सीडेंट है, जो विटामिन सी की तरह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, जिससे आप सर्दी, फ्लू और संक्रमणों से बचे रहते है। यह त्वचा, दांत, आंख, बाल और नाखूनों की सेहत को ठीक रखने में मदद करता है। इसकी कमी से आंखों में रतौंधी जैसी शिकायत हो सकती है, त्वचा में रूखापन आता है, हड्डियों का विकास रुक जाता है और इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। चीज, अंडे, ऑयली फिश, दुग्ध उत्पाद, लिवर, सीताफल, एप्रीकॉट, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियों को समृद्ध स्रोत है। image courtesy : getty images
विटामिन बी ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है मूड को नियंत्रित करता है, और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देता है, वजन को नियंत्रित रखता है, इम्यून और नर्वस सिस्टम सुचारु रहता है, हड्डियां को मजबूत और मांसपेशियां स्वस्थ होती हैं। विटमिन बी की कमी कुपोषण और डायबिटीज के लिए भी जिम्मेदार होती है। इसकी कमी से भावनात्मक असंतुलन, डायरिया, डिप्रेशन, डिमेंशिया, हाइपरटेंशन, एनीमिया और पीरियड्स की गडबडी जैसे कई रोग हो सकते हैं। विटामिन बी फिश, सी-फूड, दुग्ध उत्पाद, हरी पत्तेदार सब्जियां, मटर, बींस, अंडे और चिकन आदि से मिल सकता है। image courtesy : getty images
विटमिन डी हमें धूप से मिलता है। इसका कार्य बोन डेंसिटी के लिए रक्त में कैल्शियम और फॉस्फोरस के स्तर को संतुलित रखना है। यह हड्डियों में मजबूती, ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने के साथ ही डायबिटीज, मोटापे, आर्थराइटिस, ब्रॉन्काइटिस, अस्थमा और दांत संबंधी समस्याओं से बचाव करता है। अध्ययन के अनुसार लगभग 10 में से 3 या 4 वयस्क भारतीयों में विटमिन डी की कमी पाई जाती है। इसकी कमी से हड्डी रोग, नेत्र-विकार, वजन में कमी, डायरिया व भोजन में अरुचि जैसी समस्याएं होती हैं। धूप के अलावा इसके स्रोत हैं, अंडे का योक, फिश, मछली का तेल, मशरूम है। image courtesy : getty images
विटामिन 'के' आंतरिक रक्तस्राव, खून के थक्के में सुधार करने की क्षमता सहित पित्त बाधा, ऑस्टियोपोरोसिस, अत्यधिक माहवारी, और मासिक धर्म में होने वाले दर्द को रोकने के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण विटामिन है। यह फैट में घुलनशील है। इससे हड्डियों की सेहत में सुधार होता है, धमनियों में कैल्शियम को जमने से रोकने में मदद मिलती है, जिससे अचानक हार्ट अटैक की आशंका कम हो जाती है। पालक, मूली, गाजर, बन्दगोभी, फूलगोभी, सोयाबीन का तेल, दूध, अण्डे की जर्दी, हरे पत्तेदार सब्जियों आदि से प्राप्त होता है। image courtesy : getty images
विटामिन बी1 को थायमिन भी कहते है। विटामिन बी1 की कमी से बेरी-बेरी रोग हो जाता है। इसलिए वैज्ञानिक इसे बेरी-बेरी विटामिन भी कहते है। यदि भोजन मे विटामिन बी1 की कमी हो जाए तो शरीर कार्बोहाइड्रेटस तथा फास्फोरस का संपूर्ण प्रयोग कर पाने मे समर्थ नही हो पाता। विटामिन बी 1 से होने वाली अन्य बीमारियों में भूख न लगना, ध्यान की कमी, दिल की बीमारी, सांस लेने मे कठिनाई, पैरो मे जलन, कब्ज होना, पेट मे गैस होना, पाचन क्रिया में गड़बड़ी आदि शामिल है। विटामिन बी 1 आपको ओटमील, मॉस (लीवर), ब्राउन राइस, हरी सब्जियां, आलू, और अंडे से प्राप्त हो सकता है। image courtesy : getty images
विटामिन बी 2 को रोइबोफ्लेविन के नाम से भी जाना जाता है। यह विटामिन शरीर की कोशिकीय प्रक्रियाओं के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। इसकी कमी से होंठ और मुंह सूखने लगते है। और इसका असर त्वचा, आंख और खून पर भी पड़ता है। दूध और दूध से बनाई गई चीजे जैसे- दही, पनीर, आदि के अलावा विटामिन बी 2 आपको केले, पॉपकॉर्न, बीन्स, अंडे आदि से मिल सकता है। image courtesy : getty images
विटामिन बी 6 शरीर की प्रतिरक्षा-तंत्र को मजबूत कर विभिन्न संक्रमणों और बीमारियों से हमारी रक्षा करता है। इसके अलावा यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए भी जरूरी है। विशेषज्ञ कहते हैं कि जितना ज्यादा प्रोटिन का सेवन किया जाता है, विटामिन बी6 की जरूरत भी उतनी ही पड़ती है। इसकी कमी से मुंह और जीभ संबंधी समस्याएं, अवसाद व शरीर का कोई भी भाग सुन्न होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह विटामिन मांस, मछली, अंडे, आलू व शकरकंद तथा सभी प्रकार के साबुत अनाजों में भी मिलता है। image courtesy : getty images
फोलिक एसिड, जिसे फोलेट या फोलासिन के नाम से भी जाना जाता है, विटामिनों के बी ग्रुप में से एक है और बी9 के नाम से भी जाना जाता है। आपके शरीर को इसकी आवश्यकता लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए होती है। यह कोशिका निर्माण और कोशिका वृद्धि के दौरान काफी उपयोगी माना जाता है। स्वस्थ रक्त कोशिका के निर्माण के लिए बच्चों और व्यस्कों में फोलिक एसीड समान रूप से जरूरी होता है। साथ ही ये रक्तहीनता को रोकता है। फोलिक एसिड हरी पत्तेदार सब्जियां, मटर, मक्का, फूलगोभी, हरी मिर्च, चुकंदर, बादाम, काजू, मूंगफली, अखरोट, तिल, फलियां, स्ट्राबेरी, केला, अनानास, पपीता, संतरे, रसबेरी और साबुत अनाज में पाया जाता है। image courtesy : getty images
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