बच्चों के विकास के लिए स्वतंत्र माहौल की जरूरत होती है। मिट्टी और खुली जगह में खेलने से बच्चों का इम्यून सिस्टम तो मजबूत होता ही है साथ ही बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ती हैं।
ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चों को गंदा और अस्वस्थ होने के डर से मिट्टी में खेलने से रोकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। बच्चों के विकास के लिए स्वतंत्र माहौल की जरूरत होती है। मिट्टी और खुली जगह में खेलने से बच्चों का इम्यून सिस्टम तो मजबूत होता ही है साथ ही बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ती हैं।
अक्सर हम यह मानते हैं कि मिट्टी से बच्चों को संक्रमण हो सकता है। इसलिए हम अपने बच्चों को मिट्टी में खेलने नहीं देते। लेकिन मिट्टी में सिर्फ संक्रमण फैलाने वाले ही नहीं बल्कि हेल्थ-फ्रैंडली बैक्टीरिया भी होते है, जो बच्चे को मानसिक और शारीरिक फायदा पहुंचाते हैं और बच्चा इससे मजबूत बनता है।
बच्चों में रचनात्मक्ता बढ़ाने के लिए मिट्टी और खुले वातावरण में खेलने देना चाहिए। इससे बच्चों का शरीर तो मजबूत होता ही है साथ ही उनकी कुछ अलग और रचानात्मक करने की शक्ति भी बढ़ती हैं।
बच्चों को मिट्टी और खुली जगह में खेलने देने से उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। ऐसे बच्चों को अन्य बच्चों के मुकाबले प्रदूषण और अन्य चीजों से एलर्जी बहुत कम होती है।
ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता सुजेन वांग के अनुसार, बचपन में बैक्टीरिया और वायरस रहित वातावरण आगे जाकर हाई ब्लड प्रेशर और उससे संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। इसलिए बचपन में बच्चों को खुले वातावरण और मिट्टी में खेलने देना चाहिए।
मिट्टी में पाया जाने वाला बैक्टीरिया दिमाग को तेज करने में मदद करता है। इसलिए डाक्टर कहते हैं कि बच्चों को वीडियो गेम और पीएसपी देकर उनके मस्तिष्क को खराब करना की जगह उन्हें मिट्टी में खेलने की अनुमति दें जिससे की उनके ज्ञान में सुधार हो।
बच्चों को मिट्टी में खेलने की अनुमति देना उनको रिलैक्स और शांत रहने में मदद करता है। मिट्टी की खुशबू और मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्म कीटाणु बच्चे के मूड को ठीक करता है और उसे खुशी देता है। इसके अलावा, दूसरे बच्चों के साथ मिट्टी में खेलना उनके तनाव के स्तर को कम करता हैं।
कई बच्चों को खुले वातावरण और मिट्टी में अनुमति नहीं होती, इसलिए उन्हें यह पता नहीं होता कि प्रकृति हमारे लिए कितनी अनमोल है। बाहर खुले वातावरण में खेलने से वह प्रकृति के करीब आते है, प्रकृति के महत्व को जानते हैं।
जब आपका बच्चा मिट्टी का उपयोग करके बर्तन बना रहा हो तो उस समय उसे मिट्टी में सना हुआ देखकर परेशान नहीं होना चाहिए। क्योंकि यह सब उन्हें अपनी रचनात्मकता और विचारों का उपयोग करने में मदद करता है।
मिट्टी में खेलने से बच्चों की त्वचा स्वस्थ व तेजवान बनती है। मिट्टी से त्वचा के रोमकूप खुलते है जिससे रक्त का संचार बढ़ जाता है। तो अगली बार से बच्चों को मिट्टी में खेलता देख उनकी त्वचा के लिए परेशान होना छोड़ दें।
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