
पटाखों की वजह से दिवाली के दौरान प्रदूषण का स्तर लगभग पूरे देश में बढ़ जाता है, मगर दिल्ली में इसका प्रभाव ज्यादा रहता है। लेकिन इस बार प्रदूषण का स्तर अभी से ही खतरे के निशान से ऊपर हो गया है, ऐसे में इस बार दिवाली पर स्थिति औ
हर साल सर्दी के मौसम और खासकर दिवाली के मौके पर दिल्ली का प्रदूषण स्तर सबसे खराब स्तर पर पहुंच जाता है। लेकिन इस बार यह स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है क्यों कि दिल्ली की आबोहवा अभी से ही खराब स्तर पर पहुंच चुकी है। यहां तक कि दिल्ली में जिन स्थानों पर थोड़ी-बहुत शुद्ध हवाएं मिलती थी, इस समय उन जगहों पर भी प्रदूषण अपना पांव जमाना शुरू कर दिया है।
ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ता प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी है। दरअसल, पिछले दिनों प्रदूषण मापने वाली संस्थाएं सीपीसीबी (CPCB) और सफर (SAFAR) ने हवा में प्रदूषण के स्तर को मापा तो रीडिंग 318 थी, जबकि हवा में प्रदूषण स्तर की रीडिंग 300 से अधिक होना बेहद खराब माना जाता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल्ली में सर्दी के मौसम में हवा की शुद्धता में गिरावट आ जाती है। दिवाली पर पटाखों की वजह से बहुत ज्यादा प्रदूषण होता है। लेकिन उससे काफी पहले हवा का इतना प्रदूषित हो जाना एक असामान्य सी बात है। इसके अलावा फसलों को जलाने से और दिवाली की हैवी ट्रैफिक ने भी हवा के खराब होने में योगदान दिया है। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी वैसे-वैसे प्रदूषण भी बढ़ेगा। सर्दी की वजह से हवा में मौजूद प्रदूषित पदार्थ आकाश में धरती की सतह के और करीब जमा हो जाते हैं।
हवा में जमा प्रदूषित कणों की वजह से घना कोहरा छाता है। इससे आने वाले दिनों में हवा का स्तर और भी ज्यादा खराब हो जाने के आसार दिखाई दे रहे हैं। ऐसे समय में प्रदूषण और धूल-मिट्टी से होने वाली बीमारियों से बचना भी एक चुनौती होगी। इससे निपटने के लिए लोगों के जागरूक होने के साथ ही सावधानी बरतने की भी जरूरत है।
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