
डेंगू एक तरह का वायरल इंफेक्शन है। यह वायरस चार तरह डेनवी1, डेनवी 2, डेनवी 3 और डेनवी 4 का होता है। मच्छर के काटने से यह वायरस खून में आ जाता है।
बरसात के मौसम में डेंगू फीवर का प्रकोप बढ़ जाता है। डेंगू बुखार, एडीज इजिप्टी नामक मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू का मच्छर अधिकतर सुबह में काटता है। यह मच्छर साफ रुके हुए पानी जैसे कूलर व पानी की टंकी आदि में पनपता है। डेंगू एक तरह का वायरल इंफेक्शन है। यह वायरस चार तरह डेनवी1, डेनवी 2, डेनवी 3 और डेनवी 4 का होता है। मच्छर के काटने से इसका संक्रमण खून तक पहुंच जाता है।
क्या हैं जटिलताएं
डेंगू में सबसे ज्यादा चिंता का विषय रक्त में प्लेटलेट्स का कम हो जाना है। जब प्लेटलेट्स काउंट 10 हजार से कम हो जाए या शरीर के किसी भाग से रक्तस्राव (ब्लीडिंग) होने लगे, तो इस स्थिति में रक्त चढ़ाना पड़ता है। इसके अलावा रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) का कम होना और फेफड़ों व पेट में पानी का जमा होना चिंताजनक पहलू हैं।
ये हैं लक्षण
- सर्दी लगकर तेज बुखार आना।
- सिरदर्द होना।
- आंखों में दर्द होना।
- उल्टी आना।
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- शरीर, जोड़ों व पेट में दर्द होना।
- शरीर में सूजन होना।
- त्वचा पर लाल निशान आ जाना।
- कुछ लोगों को इस बीमारी में रक्तस्राव (ब्लीडिंग) भी हो जाता है। जैसे मुंह व नाक से और मसूढ़ों से। इस स्थिति को डेंगू हेमोरेजिक फीवर कहा जाता है।
- पेशाब लाल रंग का आना, काले दस्त आना।
- दौरे आना और बेहोशी छा जाना।
- ब्लड प्रेशर का कम (लो) होना, जिसे डेंगू शॉक सिंड्रोम कहते हैं। इस स्थिति में शरीर के विभिन्न अंगों को सुचारु रूप से रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती।
इलाज
गंभीर स्थिति में मरीज को अस्पताल में दाखिल करने की जरूरत पड़ती है। हालांकि डेंगू की गंभीरता न होने की स्थिति में घर पर रह कर ही उपचार दिया जा सकता है और पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं होती।
- इस रोग में रोगी को तरल पदार्थ का सेवन कराते रहें। जैसे सूप, नींबू पानी और जूस आदि।
- डेंगू वायरल इंफेक्शन है। इस रोग में रोगी को कोई भी एंटीबॉयटिक देने की आवश्यकता नहीं है।
- बुखार के आने पर रोगी को पैरासीटामॉल की टैब्लेट दें। ठंडे पानी की पट्टी माथे पर रखें।
- रोगी को यदि कहीं से रक्तस्राव हो रहा हो, तभी उसे प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता होती है।
- डेंगू का बुखार 2 से 7 दिनों तक रहता है। इस दौरान रोगी के रक्त में प्लेटलेट्स की मात्रा घटती है। सात दिनों के बाद स्वत: ही प्लेटलेट्स की मात्रा बढ़ने लगती है। लक्षणों के प्रकट होने पर शीघ्र ही डॉक्टर से संपर्क करें।
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