
भारतीय पेरेंट्स की नजर जिन दो मुद्दों पर सबसे ज्यादा रहती है उनमें से एक बच्चों की शादी और दूसरा उनका भविष्य है।
हर माता-पिता अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंतित रहते हैं। माता पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे कैसे भी करके पढ़ाई में अव्वल रहें। आजकल के परिजनों का खासकर ये मानना है कि भले ही उनके बच्चे अन्य गतिविधियों में थोड़ा कमजोर रहें लेकिन पढ़ाई में पीछे ना रहें। अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए वे अपनी ओर से पूरी कोशिश भी करते हैं। इसी को लेकर कुछ समय पहले एक सर्वे जारी हुआ था। जिसमें ये बात कही गई थी कि भारतीय पेरेंट्स की नजर जिन दो मुद्दों पर सबसे ज्यादा रहती है उनमें से एक बच्चों की शादी और दूसरा उनका भविष्य है।
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लड़कियां अक्सर लड़कों की तुलना में पापा की फेवरेट होती हैं। जिस तरह मां गलती होने पर भी अपने बेटे का साथ देती हैं। उसी तरह पापा अनजाने में हुई बेटियों की गलती को इग्नोर करते हैं। पापा और बेटी की ये परफेक्ट जुगलबंदी सालों से चली आ रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के विशेषज्ञों द्धारा किए गए शोध में कहा है कि जो बेटियां अपने पापा से पढ़ती हैं वो अन्य बच्चों की अपेक्षाकृत पढ़ने में अधिक होशियार होती हैं।
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बेटियां शुरू से ही पापा की लाडली रही हैं और इन दोनों में अजीब तरह की बॉन्डिंग होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि पापा बेटियों की पढ़ाई से जुड़ी कमजोरी को जल्दी पकड़ लेते हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि बेटियां भी पापा द्धारा बताई गई बातों का जल्दी समझ लेती है। खासकर जो लड़कियां मैथ्स को अच्छे से नहीं समझ पाती या इस विषय में कमजोर होती हैं। उनमें भी पढ़ाई से संबंधित काफी बदलाव आते हैं। इसके साथ ही जो बेटे पापा से पढ़ते हैं उनकी भाषा में सुधार आता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि पढ़ने में अव्व्ल होने के साथ ही बेटियों में सकारात्मकता और खुद पर भरोसा भी बढ़ता है। जिसका साफ असर उनकी पढ़ाई पर दिखता है। शोध की रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया है कि जो पिता अपने बच्चों को होमवर्क कराने में मदद नहीं करते, उनके बच्चे बड़े होने पर उनसे खुलकर अपनी बात शेयर नहीं कर पाते। शोध में इस बात की गाइडलाइन भी दी गई है कि पिता चाहे कम पढ़ा लिखा क्यों ना हो, उसे अपने बच्चों के साथ पढ़ाई के नाम पर वक्त जरूर बिताना चाहिए।
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