
वैसे तो तुलसी और हल्दी में कुदरती आयुर्वेदिक गुण होते ही हैं मगर इसमें कैंसर रोकने वाले महत्वपूर्ण एंटी इंफ्लेमेटरी तत्व भी होते हैं।
शोध से ये बात सामने आई है कि जो लोग अधिक मात्रा में गुटखा और तंबाकू खाते हैं उन्हे कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। गुटखा और तंबाकू से होने वाले मुख कैंसर को अब देसी इलाज पद्धति से रोका जा सकता है। हल्दी और तुलसी का सेवन इतना गुणकारी है कि यह कैंसर से भी बचाव करता है।
कई प्रकार के शोधों में पाया गया कि तुलसी और हल्दी से मुंह में होने वाले इस जटिल रोग का इलाज संभव है। यूं तो हम हल्दी और तुलसी के प्राकृतिक गुणों से पहले से ही परिचित हैं अब इन दोनों की इसी विशिष्टता का उपयोग ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस डिसीज जो आगे चलकर मुख कैंसर बन जाता है, के इलाज के लिए भी किया जा सकेगा।
वैसे तो तुलसी और हल्दी में कुदरती आयुर्वेदिक गुण होते ही हैं मगर इसमें कैंसर रोकने वाले महत्वपूर्ण एंटी इंफ्लेमेटरी तत्व भी होते हैं। तुलसी इस रोग में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देती है। घाव भरने में भी तुलसी मददगार होती है। तुलसी और हल्दी आसानी से सुलभ दोनों आयुर्वेदिक औषधियों का सहारा लिया जा सकता है। अभी तक ओएसएमएफ रोग के लिए तुलसी और हल्दी का प्रयोग नहीं किया गया था।
करीब एक वर्ष तक चले शोध को डेंटल कौंसिल ऑफ इंडिया पहले ही मान्यता प्रदान कर चुकी है। मार्च 2013 में बीएचयू ने भी चिकित्सकों की देखरेख में इस पद्धति से उपचार करने की अनुमति प्रदान कर दी। कुछ नामी अस्पतालों में हल्दी और तुलसी के संयोग से बनी औषधि से उपचार पद्वति से इलाज किया भी जा रहा है। मुख रोग के इलाज में तुलसी और हल्दी का अपने आप में यह पहला प्रयोग है।
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