
गर्भाशय के अंडों का आकार काफी विकसित हो जाता है जिससे कि उनमें गर्भ ठहर सके। हर महिला में प्रेगनेंसी की स्थितियां और ओवुलेशन प्रक्रिया अलग-अलग होती हैं। महिलाओं के फीटस का विकास भी अलग होता है।
ओव्यूलेशन एक जैविक क्रिया है। इसके दौरान गर्भाशय के अंडों का आकार काफी विकसित हो जाता है जिससे कि उनमें गर्भ ठहर सके। इसके लिए पीरियड के पहले दिन से लेकर दसवें दिन और पीरियड की संभावित तारीख के एक सप्ताह पहले का समय छोड़कर जो दिन बचते हैं यानी 10वें दिन से लेकर 23वें दिन तक का समय आदर्श समय है।
हर महिला में प्रेगनेंसी की स्थितियां और ओव्यूलेशन प्रक्रिया अलग-अलग होती हैं। महिलाओं के फीटस का विकास भी अलग होता है। इसलिए हर महिला में ओव्यूलेशन प्रक्रिया का समय भी अलग हो सकता है। ओव्यूलेशन प्रक्रिया को समझने के बाद गर्भधारण करने में आसानी होती है।
गर्भधारण करने में आपको अपने ओव्यूलेशन का समय जानना सबसे जरूरी है। ओव्यूलेशन के समय दौरान सेक्स करने से आप गर्भवती हो सकती है। अगर आपको प्रेग्नेट होने में समस्या आ रही है तो डॉक्टर भी ओव्यूलेशन के समय ही सेक्स करने की सलाह देते हैं। इसके अलावा, महिलाओं के शरीर में होने वाले बदलाव के जरिए भी ओव्यूलेशन के समय के बारे में जाना जाता है।
कैलेंडर वाच
प्राकृतिक तरीकों में एक कैलेंडर वाच है जिसे सालों से महिलाएं प्रयोग में लाती हैं। ओव्यूलेशन का समय कंसीव करने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। अगर आपको जल्द ही प्रेगनेंट होना है तो अपने ओव्यूलेशन डेज पर नजर रखना अभी से शुरु कर दें। जानकारी के लिए बता दें कि यह मासिक धर्म के 14 दिन बाद पड़ता है।
शरीर का तापमान
इसमें ओव्यूलेशन के संभावित समय को शरीर का तापमान चेक करके जाना जाता है और उसी के अनुसार सेक्स करने या न करने का निर्णय लिया जाता है। इसमें महिलाओं को तकरीबन रोज ही अपने तापमान को नोट करना होता है। जब ओव्यूलेशन होता है तो शरीर का तापमान आधा डिग्री बढ़ जाता है।
पेट में ऐंठन
ओव्यूलेशन के दिनों में अक्सर महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में अधिक ऐंठन महसूस होती है। कई बार क्रैंप की जगह पेट के निचले हिस्से में हल्का-हल्का दर्द भी होता है और ओव्यूलेशन के समय के बाद यह अपनेआप खत्म हो जाता है।
गीलेपन का एहसास
इन दिनों में आम दिनों की अपेक्षा गीलेपन का एहसास अधिक होता है। अक्सर ऐसे समय में व्हाइट वाटर का डिस्चार्ज होता है जिसकी वजह से यह बदलाव महिलाएं महसूस करती हैं।
ब्रेस्ट में हल्का दर्द
ओव्यूलेशन के समय महिलाओं को ब्रेस्ट में हल्का दर्द या फिर कड़ापन भी महसूस होता है। ब्रेस्ट छूने पर अधिक दर्द महसूस होना भी फर्टाइल दिनों का लक्षण हो सकता है।
सेक्स की अधिक इच्छा
इस समय शरीर में सेक्स हार्मोन सबसे सक्रिय रहते हैं, यही वजह है कि इस दौरान महिलाओं में सेक्स की इच्छा बढ़ जाती है।
जी मचलना
शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव की वजह से कई बार ओव्यूलेशन के दौरान महिलाओं में जी मचलना, भोजन का स्वाद बदल जाता है।
यूरीन टेस्ट
ज्यादातर मेडिकल स्टोर पर ओव्यूलेशन टेस्ट किट मिलती है। इसकी मदद से आप ओव्यूलेशन पीरियड के बारे में जान सकती हैं। इस किट की मदद से यूरीन में मौजूद एलएच हार्मोन की जांच की जाती है जो ओव्यूलेशन से पहले और बाद में स्रावित होते हैं। ओव्यूलेशन टेस्ट की मदद से एल एच हार्मोन के उच्च स्तर के बारे में पता चलता है जो कि ओव्यूलेशन की बड़ी पहचान है।
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