
ऐसा देखा गया है कि ज्यादातर लोगों में पिता बनने के बाद मानसिक और व्यवहारिक तौर पर कुछ बदलाव होते हैं। इन बदलावों के कारण ही व्यक्ति में धीरे-धीरे युवावस्था का अक्खड़पन खोता है और मेच्योर होने के गंभीरता आने लगती है।
पहली बार पिता बनने का एहसास खुशियों हर पुरुष के लिए खास होता है। पिता बनते ही ज्यादातर पुरुष शिशु के पालन-पोषण, भविष्य, हंसी-ठिठोली के पल आदि के बारे में सोचना शुरू कर देते हैं। ऐसा देखा गया है कि ज्यादातर लोगों में पिता बनने के बाद मानसिक और व्यवहारिक तौर पर कुछ बदलाव होते हैं। इन बदलावों के कारण ही व्यक्ति में धीरे-धीरे युवावस्था का अक्खड़पन खोता है और मेच्योर होने के गंभीरता आने लगती है। आइए आपको बताते हैं कि पिता बनने के बाद पुरषों में आमतौर पर कौन से बदलाव होते हैं।
बुरी आदतें छोड़ने में मदद मिलती है
एक शोध में पाया गया है कि पिता बनने के बाद पुरुषों के लिए अपनी बुरी आदतें छोड़ना ज्यादा आसान होता है। अध्ययन बताते हैं कि पिता बनने के बाद धूम्रपान, शराब और अन्य बुरी लतें छूटने की संभावना पहले के मुकाबले बढ़ जाती है। दरअसल बुरी आदतों का अपराधबोध तब गहरा हो जाता है जब व्यक्ति पर किसी और की जिम्मेदारी आ जाती है। ऐसे में शिशु के जन्म के साथ ही बहुत से लोग गलत आदतें छोड़ देते हैं।
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शारीरिक संबंध में कम रूचि
कुछ शोध बताते हैं कि पिता बनने के बाद पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन (कामभावना को बढ़ने वाला हार्मोन) के स्तर में कमी आती है। जिसकी वजह से पुरुष शारीरिक संबंधों में भी कम रुचि लेने लगते हैं। नवजात शिशु के आने से दिनरात उसका खयाल रखने में भी माता-पिता व्यस्त हो जाते हैं। ऐसे में शारीरिक संबंध के बारे में रूचि कम होना कई बार परिस्थिति के कारण भी होता है।
जिम्मेदारियों में संतुलन
किसी पिता के लिए काम और घर के बीच संतुलन बनाकर रखना सबसे बड़ी चुनौती होती है। सम्भावित पिताओं को इस बात का हमेशा भय रहता है कि काम की व्यस्तता के साथ परिवार के साथ पर्याप्त समय कैसे बिताया जाए। वे इस दुविधा में रहते हैं कि कहीं वे परिवार की वजह से काम को ठीक से नहीं कर पायेंगें या फिर काम की अधिकता के चलते बच्चे के साथ के खास पलों में साथ रह पायेंगे कि नहीं।
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शिशु का खयाल रखने की चिंता
पहली बार पिता बनने वाले पुरुष शिशु के बारे में ढेर सारी बातें सोचते हैं। कई बार ये बातें उन्हें चिंतित करती हैं और कई बार रोमांचित करती हैं। जैसे- वह बच्चे को सही ढंग से पकड़ सकेगा या नहीं, उसके डाइपर कैसे बदल पायेगा, उसे कैसे स्कूल में पढ़ाएगा, वो कितना बुद्धिमान होगा और उसे क्या-क्या सिखाएगा आदि। शिशु का खयाल रखने में आने वाली परेशानी कई बार पिता को चिंता में डाल देती हैं। हालांकि यही चिंता पिता को जिम्मेदार और समझदार बनाती है।
आर्थिक समस्याओं का डर
ज्यादातर भारतीय परिवारों में आर्थिक जिम्मेदारियां पुरुषों पर होती हैं। ऐसे में ज्यादातर पुरुष पहली बार पिता बनने पर यह सोचते हैं कि क्या वे अपने परिवार की आर्थिक जरूरतें पूरी कर पाएंगे या नहीं। शिशु के जन्म के बाद घर में कई तरह के खर्च बढ़ जाते हैं इसलिए पिता की ये चिंता तब जायज है जब वो घर में अकेला कमाने वाला हो। हालांकि आर्थिक रूप से मजबूत लोग इस विषय में कम चिंतित होते हैं मगर बच्चे के भविष्य को लेकर उनमें भी चिंता होती है।
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