
मधुमेह के बारे एक खुलासा हुआ है जिसके अनुसार अगले 15 सालों में देश में 10 करोड़ लोगो को मधुमेह होने का खतरा हो सकता है।
मधुमेह को साइलेंट किलर के नाम से जाना जाता है। इस बीमारी की सही मायने में कोई इलाज नहीं है। ये शरीर को धीरे धीरे खोखला बना देती है। मधुमेह के संबंध राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में मधुमेह को चौंकानेवाला खुलासा सामने आया है। डायग्नोस्टिक चेन लैब मेट्रोपॉलिस हेल्थकेयर लिमिटेड के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में जमा किए गए लगभग 1.5 लाख लोगों के रक्त नमूनों में से 40.5 फीसदी में प्री.डायबीटिक और डायबीटिक कारक पॉजिटिव पाए गए हैं।
यह शोध शून्य से 80 वर्ष आयु वर्ग के मरीजों के रक्त नमूनों पर आधारित है। शून्य से 10 साल आयु वर्ग में करीब 20 फीसदी लोगों के नमूने पॉजिटिव पाए गए और पुरुषों में यह सर्वाधिक है।इसका मतलब है कि हर पांच नमूने में एक या तो प्री.डायबीटिक है या डायबीटिक. पॉजिटिव पाए गए कुल 34 फीसदी लोग 30-70 वर्ष आयु वर्ग में आते हैं।
सभी नमूनों के विश्लेषण से पता चला कि उम्र बढ़ने के साथ ही इसकी प्रगति और प्रवृत्ति दोनों ही बढ़ती है।
यह विश्लेषण मेट्रोपॉलिस हेल्थकेयर की दिल्ली प्रयोगशाला द्वारा पांच वर्षो के दौरान खाली पेट रक्त शर्करा के नमूनों पर किया गया है और परिणाम दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में कराए गए 1,57,531 नमूनों की जांच पर आधारित हैं।
चीफ पैथोलॉजिस्ट और लैब इंचार्ज डॉ.गीता चोपड़ा ने कहा, “भारत को दुनिया की डायबीटिज राजधानी के तौर पर जाना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अगले 15 वर्षो में 10.12 करोड़ भारतीयों को मधुमेह होने का अनुमान है। हालांकि इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि अगर कुछ उपाय किए जाएं, तो मधुमेह रोकथाम के परिणामों में सुधार हो सकता है।”
डॉ.चोपड़ा ने कहा, “डायबीटिज से बचाव और उसे नियंत्रित करने के लिए इसका जल्द पता चलना और इसके निदान के साथ-साथ स्वयं पर अनुशासन बेहद महत्वपूर्ण है। यह बेहद जरूरी है कि खासकर शहरों में लोग अपनी जीवनशैली में बड़े बदलाव लाएं और मधुमेह से बचने के लिए स्वस्थ आहार लेने की आदत विकसित करें। मधुमेह की जटिलताओं से बचने और ग्लाइसेमिक नियंत्रित करने के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच (हेल्थ चेकअप) और रक्त शर्करा की नियमित निगरानी बेहद जरूरी है। ”
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