
यदि आपको लगता है कि समझाने पर भी किशोर बच्चे सुनते नहीं हैं, तो ऐसा नहीं है। अगर उन्हें सही ढंग से अच्छी और प्रेरक बातें समझाई जाएं, तो वे समझते हैं। बुरी आदतों से दूर रहते हैं। प्रेरक बातें उन्हें हिंसा से दूर रखती है और नसीहतों से उनमें ऊर्जा
यदि आपको लगता है कि समझाने पर भी किशोर बच्चे सुनते नहीं हैं, तो ऐसा नहीं है। अगर उन्हें सही ढंग से अच्छी और प्रेरक बातें समझाई जाएं, तो वे समझते हैं। बुरी आदतों से दूर रहते हैं। प्रेरक बातें उन्हें हिंसा और शराब से दूर रखती हैं। नसीहतों से उनमें ऊर्जा का संचार होता है।
मिशीनगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है। शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन 14 से 18 आयुवर्ग के 726 किशोरों पर किया। इन किशोरों में बीते साल में कम से कम दो से तीन बार आक्रामकता या शराब पीने की आदत देखी गई थी।
मनोचिकित्सकों से आमने-सामने की गई बात से 34 फीसदी किशोरों की हिंसक प्रवृत्ति में गिरावट दर्ज की गई। वहीं, जिन किशोरों को नसीहतों की सिर्फ विवरण पुस्तिका दी गई, उनकी आक्रामकता में तीन महीने में सिर्फ 16 फीसदी गिरावट दर्ज की गई।
'जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन' की रिपोर्ट के मुताबिक मनोचिकित्सकों की प्रेरणादायक बातों को सुनने या कंप्यूटर प्रोग्रामिंग खेल के कारण किशोरों की शराब पीने की आदत में कमी आई। प्रमुख शोधकर्ता डा. रिबैका कनिंघम ने कहा कि हिंसा और शराब की समस्याओं से बचा जा सकता है। उन्होंने माना कि किशोरों से शराब के दुष्प्रभाव और दबाव के बारे में बात करना अभिभावकों के लिए कठिन काम होता है।
सह शोधकर्ता मऊरीन वाल्टन ने कहा कि मनोचिकित्सकों ने किशोरों का भावनात्मक साक्षात्कार लिया, जो उनके विकास में सहायक है। साक्षात्कार के दौरान किशोरों को किसी काम को करने या न करने संबंधी कोई नसीहत नहीं दी गई, लेकिन फैसला लेते समय सही और गलत का ध्यान रखने को कहा गया।
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